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Kavita Kosh से
आदमी वह कोई आदमी है!
आज उन सुर्ख़ होंठों होँठों की फड़कन
एक अहम बात पर आ थमी है
प्यार कम तो नहीं है उधर भी
देखनेवाले, ! तुझमें कमी है
रंग अच्छा , गुलाब ! आपका हो
रंग पर यह महज़ मौसमी है
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