भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
2
उम्र एक तल्ख़ हक़ीकत है मुनव्वर फिर भी
3
मियाँ ! मैं शेर हूँ, शेरों की गुर्राहट नहीं जाती,
4
हमारी ज़िन्दगी का इस तरह हर साल कटता है
Anonymous user