भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
पलछिन करती चिड़िया रानी
बिना परों के उड़ती-फिरती
कुछ द्विअर्थी संवादों के
अनजानी मस्ती में खोए
आकर्षण झूठे वादों के
पल भर में बरसाती पानी
पल भर में है आग
</poem>