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Kavita Kosh से
कि तन से तन भी जुड़ गए क्यूं दिल से दिल जुड़ा नहीं
अजीब जिंदगीं जिंदगी रही , जो रौशनी न पा सकी
लहू जिगर का भी दिया ,मगर दिया जला नहीं