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|रचनाकार=ओम निश्चल
|संग्रह=शब्दि शब्द सक्रिय हैं
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ओ प्रिया
कह दो तो हरसिंगार का
दूध नहाई जैसी रात
हुई सॉंवरीसाँवरी,रह -रह के भिगो रही
पुरवाई बावरी,
भीग गया है तन -मनपॉंवों पाँवों में है रुनझुनअंग -अंग में उभार दूँ
ओ प्रिया,
कह दो तो छंद प्यार का
खुली हुई सॉंकल साँकल हैखुली हुई खिडकियॉंखिडकियाँशोख हवाऍं हवाएँ देतींमंद -मंद थपकियॉंथपकियाँ
भीतर बाहर अमंद
बिखरी है नेह गंध
साँस सॉंस -साँस में उतार दूँ
ओ प्रिया,
कह दो सुर सितार का
<Poem>