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{{KKRachna
|रचनाकार=राधेश्याम बन्धु
|संग्रह=नवगीत अर्धशती/
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तोड़ते दमसूर्य -पथ पर रोज ही एहसास गुमसुम मौन है आकाश उफ़ ! समय को सहमती आज यह क्या हो गया हैइस हवा के साथ हम कब तक बहें ?
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