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रोशनी पुरज़ोर करने में
चाट जाये जाए धूल की दीमक भले ही तन
मगर हरापन नहीं टूटेगा
वक्ष के ऊपर गढ़ी हैं
बन्धु! जब-तक
दर्द का यह स्रोत-सावन नहीं टूटेगा
  हरापन नहीं टूटेगा
</poem>
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