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वार्ता:चौपाल

16 bytes added, 21:33, 21 जनवरी 2012
<poem>
भाई महावीर जी,
यह रचना पंडित विनोद शर्मा की है, जिसे जगजीत सिंह ने स्वर दिया है। पूरी कविता इस प्रकार है।
 
बुझ गई तपते हुए दिन की अगन
साँझ ने चुपचाप ही पी ली जलन
सादर
अनिल जनविजय
</poem>
pria mitron,
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