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Kavita Kosh से
ये तूने कहा क्या ऐ नादाँ फ़ैयाज़ी-ए-क़ुदरत<ref>प्रकृति की उदारता</ref> आम नहीं
तू फ़िक्रो-नज़र <ref>चिंतन और परख</ref>तो पैदाकर, क्या चीज़ है जो इनआम<ref>पुरस्कार</ref> नहीं
यारब ये मुकामे-इश्क़ है क्या गो दीदा-ओ-दिल <ref> आँखें और दिल </ref>नाकाम नहीं