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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अना' क़ासमी |संग्रह=हवाओं के साज़ प...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=हवाओं के साज़ पर/ 'अना' क़ासमी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जाँ<ref> आत्मा का गाँव</ref> हो
दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो
हम फ़क़ीरों को सब बराबर है
क़सरे शाही<ref> राजमहल</ref> हो या बियाबाँ हो
चन्द ज़ख़्मों का क़र्ज़ क्या रक्खूँ
वार अबके हयात पैमाँ<ref>जीवन यापन</ref> हो
अश्क मेरे गुहर भी हो जायें
काश आँखों को तेरा दामाँ हो
बेवफाई उसे है रास आयी
फिर वफ़ा करके क्यों पशेमाँ हो
है परीजाद की नज़र तुझ पर
अब ख़ुदा ही तिरा निगहबाँ हो
<poem>
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शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जाँ<ref> आत्मा का गाँव</ref> हो
दर्द तेरा कहीं तो मेहमाँ हो
हम फ़क़ीरों को सब बराबर है
क़सरे शाही<ref> राजमहल</ref> हो या बियाबाँ हो
चन्द ज़ख़्मों का क़र्ज़ क्या रक्खूँ
वार अबके हयात पैमाँ<ref>जीवन यापन</ref> हो
अश्क मेरे गुहर भी हो जायें
काश आँखों को तेरा दामाँ हो
बेवफाई उसे है रास आयी
फिर वफ़ा करके क्यों पशेमाँ हो
है परीजाद की नज़र तुझ पर
अब ख़ुदा ही तिरा निगहबाँ हो
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