भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
या फिर मेरी निगाह से देखा करे कोई
होती है इस में हुस्न की तौहीन<ref> सौन्दर्य का अपमान </ref> ऐ 'मज़ाज़',
इतना न अहल-ए-इश्क़ को रुसवा करे कोई
</poem>
{{KKMeaning}}