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Kavita Kosh से
कितने तूफ़ान हैं भीतर तुम्हें मालूम है क्या
उससे मिलनाकी मिलने की तमन्ना है अगर मिल जाए
कौन लिखता है मुक़द्दर तुम्हें मालूम है क्या