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Kavita Kosh से
वर्तनी व फॉर्मेट सुधार
अहं तुम्हारा
रहे जीवित
‘आकाश’ में गूँजते
‘तरंगों’ में लहराते
‘शास्त्रार्थ’ से तुम न दे सकोगे
इनके उत्तर
छूट जाएगा सारा दंभ।दम्भ।
छोड़ दो गउएँ
मूक प्राणी हैं.....
कुछ न कहेंगी
हकाल ले जाओ भले,
रोकती हूँ तुम्हारा मार्ग,
ठहरो.........!!
प्रश्न तो सुनो, याज्ञवल्क्य!!!
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