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Kavita Kosh से
जीवन-मरण का योग था, उसका मेरा, होगा कभी
अब ज़िंदगी मिलती है यूँ, पल-भर की जैसे दाश्ता
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1- साअत--समय
2- मफ़हूम--अर्थ