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New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे }} याद हैं मुझे त...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
}}
याद हैं मुझे
तुम्हारे वे शब्द
तुमने कहा था--
एक दिन आएगा
जब आदमी
आदमी नहीं रह पाएगा
वह बंजर ज़मीन हो जाएगा
या ठाठें मारता समुद्र
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|रचनाकार=अनिल जनविजय
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
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याद हैं मुझे
तुम्हारे वे शब्द
तुमने कहा था--
एक दिन आएगा
जब आदमी
आदमी नहीं रह पाएगा
वह बंजर ज़मीन हो जाएगा
या ठाठें मारता समुद्र
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