भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
आज चाहूँ तो इक-इक दुकां मोल लूँ
आज चाहूँ तो सारा जहां मोल लूँ
नारसाई का जी में धड़का कहां ?पर वो छोटा-सा अल्हड़-सा लड़का कहाँ ?
</poem>
नारसाई=असमर्थता