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{{KKRachna
|रचनाकार=साहिर लुधियानवी
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तुम न जाने किस जहाँ में खो गए

हम भरी दुनिया में तनहा हो गए


मौत भी आती नहीं, आस भी जाती नहीं

दिल को यह क्या हो गया, कोई शैय भाती नहीं

लूट कर मेरा जहाँ, छुप गए हो तुम कहाँ


एक जाँ और लाख ग़म, घुट के रह जाए न दम

आओ तुम को देख लें, डूबती नज़रों से हम

लूट कर मेरा जहाँ, छुप गए हो तुम कहाँ


तुम न जाने किस जहाँ में खो गए

हम भरी दुनिया में तनहा हो गए
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