भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्म / अमृता भारती

532 bytes added, 10:24, 14 सितम्बर 2013
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं हरे पेड़ोंके पेड़ों के नीचे खड़ी थी
सिर पर पुआल ले कर
पेड़ मेरे नहीं थे
जीवन की उर्वर भूमियों पर
लगातार
हरे बीज बोने के बाद
ये पेड़ मेरे नहीं थे
पर 'पशुशाला' की
माँद की
यह पुआल मेरी थी ।
मैंने
जन्म को
वरदान की तरह सँजोया था
और स्वर्गिक शब्द को
सत्य की तरह चलते हुए देखा था
 
असि-धार की तरह पैने
चमकते पथ पर ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits