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|भाषा=भोजपुरी
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{{KKCatBhojpuriRachna}}<poem>मति करऽ राम वियोग सिया हो, मति करऽ राम वियोग।<br>सुतल रहनी कंचन भवन में, सपना देखली अनमोल।<br>सिया हो मति करऽ राम वियोग।<br>अमृत फल के बाग उजरले राम लखन के दूत।<br>सिया हो मति करऽ राम वियोग।<br>पूरी अयोध्या से दोउ बालक अइले, एक सांवर एक गोर।<br>सिया हो मति करऽ राम वियोग।<br>बाग उजरले लंक जरवले, दिहले समुंदर बोर।<br>सिया हो मति करऽ राम वियोग।<br><br/poem>