भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शम्भुदान चारण
|संग्रह=
}}
नभ वाय वखोणीय, तेजस पौणीय , भूमि भागोणीय जग जठे
महा भूत भिगोणीय , देह वाणोंणीय , प्राकृत जोणीय पिंड जठे