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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <poem>तुम्हारी मु...' के साथ नया पन्ना बनाया
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|रचनाकार=हरकीरत हकीर
}}
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<poem>तुम्हारी मुस्कान के छींटे
मेरे वजूद पर तब आ गिरे
जब जलते अक्षरों ने
जला दिया था मेरा जिस्म …
तेरी होंद ने हाथ तब पकड़ा
जब दरिया चुप की समाधि में
उतर गया था …
तेरी मुहब्बत ने मेरी ओर
तब आँख भरी …
जब साँसों की भटकन रुक गई थी
मुझसे कटे परों से उड़ा भी न गया
और रुतों के मौसम बीत गए ….
</poem>
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<poem>तुम्हारी मुस्कान के छींटे
मेरे वजूद पर तब आ गिरे
जब जलते अक्षरों ने
जला दिया था मेरा जिस्म …
तेरी होंद ने हाथ तब पकड़ा
जब दरिया चुप की समाधि में
उतर गया था …
तेरी मुहब्बत ने मेरी ओर
तब आँख भरी …
जब साँसों की भटकन रुक गई थी
मुझसे कटे परों से उड़ा भी न गया
और रुतों के मौसम बीत गए ….
</poem>