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|रचनाकार=सतीश छींपा
|संग्रह=
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{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>काळ
छोड्यो कोनी कीं
किरसै कनै
हाड़ी अर सावणी
बगत सूं पैली ई सूकगी
पण साम्हीं
पींपळ पाणी सूं
सींचीजण लाग रैयो है।</poem>
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किरसै कनै
हाड़ी अर सावणी
बगत सूं पैली ई सूकगी
पण साम्हीं
पींपळ पाणी सूं
सींचीजण लाग रैयो है।</poem>