भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माई / अनूप सेठी

1,377 bytes added, 04:41, 21 अप्रैल 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनूप सेठी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavit...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्या होता है जहां
बाहुबल सिरा जाता है
बुद्धिबल छीज जाता है
कोई ताकत अनबूझी घर को भर देती है

बेटी सिर पर धारे घर की लाज चलती है
निर्भय

बाबा न बोलेंगे
गहन ध्यान में मुनिवर ज्ञानी
निर्गुण

आसीस ले आगे बढ़ेंगे राजकुंवर

माई की मुस्कान कमजोर की ताकत
निर्लिप्त

ऐसी सूरज किरण खिलेगी सलोनी
दुख ताप बिंध के चरणों में लोटेगा
निर्मल

कब आंसू का अंजन आंज के
माई की आंख में हंसी तिर जाएगी
कौन जाने

घर भर के राग द्वेष को मांज के सजा देती है माई
दिवाले में जैसे तांबे की अरघी चमकीली.
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits