भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
भालू चाचा मचा रहे थे,
सुबह सुबह से हल्ला|
शेर चुराकर भाग गया था,
उनका एक रसगुल्ला|
सभी जानवर भाग दौड़कर,
पकड़ शेर को लाये|
मुश्किल से रसगुल्ला,
भालूजी को दिलवा पाये|
हाथ जोड़कर तभी शेर ने,
सबसे मांगी माफी|
”कभी न अब आगे से होगी,
हमसे ये गुस्ताखी|”
”चोरी करना ठीक नहीं है,
सुनलो मेरे भाई|”
शेरसिंह को सभी जानवरों,
ने फटकार लगाई|</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
भालू चाचा मचा रहे थे,
सुबह सुबह से हल्ला|
शेर चुराकर भाग गया था,
उनका एक रसगुल्ला|
सभी जानवर भाग दौड़कर,
पकड़ शेर को लाये|
मुश्किल से रसगुल्ला,
भालूजी को दिलवा पाये|
हाथ जोड़कर तभी शेर ने,
सबसे मांगी माफी|
”कभी न अब आगे से होगी,
हमसे ये गुस्ताखी|”
”चोरी करना ठीक नहीं है,
सुनलो मेरे भाई|”
शेरसिंह को सभी जानवरों,
ने फटकार लगाई|</poem>