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शपथ गीत-1 / रमेश रंजक

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छोटे-छोटे सीने अपने लेकिन हैं चट्टानों के
किसमें ताक़त है जो रोके अपने बढ़ते हुए क़दम ।
वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
जिस दिन धरती हमें पुकारे आगे बढ़ते जाएँगे
भारत के बच्चोंं में कितना पानी है दिखलाएँगे
बार-बार तो कभी नहीं आता कुर्बानी का मौसम ।
वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
अपनी धरती, अपने नभ को अपने सिन्धु-सिवानों को
अपने पर्वत, अपने झरने, अपने नदी-मुहानों को
हम क्यों छोटा होने देंगे जब तक है साँसों में दम ।
वन्दे मातरम । वन्दे मातरम ।।
</poem>
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