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{{KKRachna
|रचनाकार=रश्मि रेखा
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|संग्रह=सीढ़ियों का दुख / रश्मि रेखा
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एक अर्से बादजब तुम्हारे अक्षरों से मुलाक़ात हुईवे वैसे नहीं लगेजैसे वे मेरे पास हैंभविष्य के सपने देखतेमेरे अक्षर भी तोरोशनी के अन्धेरे अँधेरे से जूझ रहे हैंअब तो अपने ख़ुद से मिलना भीअपने को बहुत दुखी करना हैयह सब जानते हुए भीएक ख़त अपने दोस्त को लिखाऔर उसे बहुत उदास कर दियाख़त मिलने पत्र पाने की ख़ुशी खुशी के बावजूदसचमुच समय चाहे जितनी तेज़ी तेजी सेनाप ले डगरअमिट ही रह जाते हैंउसके क़दमों के निशान
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