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|रचनाकार=केशवदास
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सूधिये बात सुनै समुझे, कहि आवत सूधियै बात सुहाई॥
सूधी सी हाँसी सुधाकर, मुख सोधि लई वसुधा की सुधाई।
सूधे सुभाइ सबै सजनी, बस कैसे किए अति टेढे कन्हाई॥
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