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{{KKRachna
| रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
| संग्रह =
}}
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<poem>
बदलें मौसम, बदलें हम
सुख-दुख यकसा करलें हम
दुनिया भर के ग़म सारे
हँसते-हँसते सहलें हम
रोये हैं तन्हाई में
क़ुर्बत में तो हंसलें हम
छोटी-छोटी चीज़ों से
बच्चों जैसे बहलें हम
फ़ुरसत हो तो आ जाओ
कुछ सुनलें कुछ कहलें हम
इक दूजे की आँखों से
दिल में क्या है पढ़लें हम
जो भी काम अधूरे हैं
आ मिलकर अब करलें हम
आज दुआओं से अपनी
खाली झोली भरलें हम
काम 'रक़ीब' अधूरे थे
आ मिलकर अब करलें हम
</poem>
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| रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
| संग्रह =
}}
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<poem>
बदलें मौसम, बदलें हम
सुख-दुख यकसा करलें हम
दुनिया भर के ग़म सारे
हँसते-हँसते सहलें हम
रोये हैं तन्हाई में
क़ुर्बत में तो हंसलें हम
छोटी-छोटी चीज़ों से
बच्चों जैसे बहलें हम
फ़ुरसत हो तो आ जाओ
कुछ सुनलें कुछ कहलें हम
इक दूजे की आँखों से
दिल में क्या है पढ़लें हम
जो भी काम अधूरे हैं
आ मिलकर अब करलें हम
आज दुआओं से अपनी
खाली झोली भरलें हम
काम 'रक़ीब' अधूरे थे
आ मिलकर अब करलें हम
</poem>