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Kavita Kosh से
मौत के इस सफ़ेद मौसम में भी
बीजों-सी दो काली पुतलियाँ अब भी तक रही हैं मेरी राह
जिनमें मौन सम्वाद करने की एक अनोखी ताकत ताक़त है
जो आत्मा की लालसाओं को ज़िन्दा रखती है ।
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