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अवाक् पृथ्वी । अवाक् कर दिया तुमने ।
जन्म से ही देखता हूँ श्रुब्ध क्षुब्ध स्वदेश भूमि ।
अवाक् पृथ्वी । हम लोग हैं पराधीन