भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
वो तमाम बेनाम फूलों के इत्र लाई है
फलों के रस और सब्जबाग़ सब्ज़बाग़ की महक लाई है
वो बेशुमार चीज़ें और इल्म लाई है
वो शौक लाई है नफ़ासत लाई है ताज़ा हवा लाई है