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वो आना चाहती है-7 / अनिल पुष्कर

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वो तमाम बेनाम फूलों के इत्र लाई है
फलों के रस और सब्जबाग़ सब्ज़बाग़ की महक लाई है
वो बेशुमार चीज़ें और इल्म लाई है
वो शौक लाई है नफ़ासत लाई है ताज़ा हवा लाई है
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