भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रोहिताश्व अस्थाना |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रोहिताश्व अस्थाना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>जिंदगी हँसकर बिताना चाहिए,
चुटकुले सुनना, सुनाना चाहिए।
रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।
चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना, खिलाना चाहिए।
आ गया इतवार पापा जी हमें-
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।
मास्टर जी हम पढ़ेंगे शौक से-
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।
देश को खुशहाल रखना है अगर-
हमको संसद में बिठाना चाहिए।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रोहिताश्व अस्थाना
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>जिंदगी हँसकर बिताना चाहिए,
चुटकुले सुनना, सुनाना चाहिए।
रात-दिन आँसू बहाने से भला,
फूल बनकर मुस्कराना चाहिए।
चाट का ठेला खड़ा है सामने,
आज कुछ खाना, खिलाना चाहिए।
आ गया इतवार पापा जी हमें-
आज तो सरकस घुमाना चाहिए।
मास्टर जी हम पढ़ेंगे शौक से-
पर खिलौने कुछ दिलाना चाहिए।
देश को खुशहाल रखना है अगर-
हमको संसद में बिठाना चाहिए।
</poem>