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{{KKRachna
|रचनाकार=रामसेवक शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>प्यासी-प्यासी सोन-चिरैया
पानी दो।
बादल-भैया प्यासी बुढ़िया
पानी दो।
पिछली बार बहुत कम बरसे
तरसे हम।
अब की बार बरसना जमके
हरषें हम।
प्यासी-प्यासी नीम-निबरिया
पानी दो।
उठा घटाएँ काली-काली
अड़-अड़ धम।
गरज-गरज के बरसो आँगन
झर-झर झम।
प्यासी-प्यासी ताल मछरिया
पानी दो।
झूलों का मौसम आएगा
झूलेंगे।
पेंग बढ़ाके आसमान को
छू लेंगे।
प्यासी-प्यासी श्याम-कुयलिया
पानी दो।
</poem>
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|रचनाकार=रामसेवक शर्मा
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<poem>प्यासी-प्यासी सोन-चिरैया
पानी दो।
बादल-भैया प्यासी बुढ़िया
पानी दो।
पिछली बार बहुत कम बरसे
तरसे हम।
अब की बार बरसना जमके
हरषें हम।
प्यासी-प्यासी नीम-निबरिया
पानी दो।
उठा घटाएँ काली-काली
अड़-अड़ धम।
गरज-गरज के बरसो आँगन
झर-झर झम।
प्यासी-प्यासी ताल मछरिया
पानी दो।
झूलों का मौसम आएगा
झूलेंगे।
पेंग बढ़ाके आसमान को
छू लेंगे।
प्यासी-प्यासी श्याम-कुयलिया
पानी दो।
</poem>