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|रचनाकार=रामजन्मसिंह शिरीष
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<poem>चल मेरे घोड़ टम्मक-टम!
चल मेरे घोड़े ठम्मक-टम!!

चीता रोके तो लड़ जाना,
हाथी टोके तो चढ़ जाना,

गफलत मत कर बढ़ बे गम,
चल मेरे घोड़े टम्मक-टम!

खाई देख नहीं रुकना है,
टीला देख नहीं झुकना है,

चल दुलकी चल जम जम जम,
चल मेरे घोड़े टम्मक-टम!

अपने हिन हिन बोल सुना दे,
ठुमक ठुमक कर नाच दिखा दे,

बाँध के घुँघरू छम छम छम
चल मेरे घोड़े टम्मक-टम!
</poem>
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