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|रचनाकार=शिशुपाल सिंह 'निर्धन'
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<poem>तोते से बोली मैना,
बनवा दो हमको गहना।
देखो मना न कर देना,
साथ तुम्हारे है रहना।
चेन, अँगूठी लाना हार,
तब समझूँगी सच्चा प्यार।
तभी आ गया घर में चोर,
मैना लगी मचाने शोर।
तोता बोला-सुन मैना,
अब गहनों को मत कहना।
</poem>
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