भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दस्ताने / गंगासहाय 'प्रेमी'

601 bytes added, 21:39, 6 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गंगासहाय 'प्रेमी' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गंगासहाय 'प्रेमी'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>टिल्लू जी के हाथ पड़ गए
मम्मी के दस्ताने,
कुछ भी नहीं समझ में आया
घंटों खींचे-ताने।
पैरों में तो तंग एकदम
हाथों में थे ढीले,
और क्या करें, इसी सोच में
पड़े बिचारे पीले!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits