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Kavita Kosh से
देह तो आत्मा तक जाने के लिए सुरंग है ।
तुम्हारी उंगलियाँ जैसे कविता की
तुम्हारी आँखें कविता की गम्भीर
तुम्हारा चेहरा
तुम एक सुन्दर और सार्थक