भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
दरिया को पागल करने को अक्स-ए-समुन्दर<ref>समुद्र का प्रतिबिम्ब</ref> काफ़ी था
ख़्वाब में और जुनूँ<ref>उन्माद</ref>भरने को ज़िह्न-ए-सुख़नवर <ref>कवि का मस्तिष्क</ref>काफ़ी था