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|नाम=रमाशंकर यादव 'विद्रोही'
|उपनाम=विद्रोही
|जन्म=3 03 दिसम्बर 1957|जन्मस्थान=फिरोज़पुर (, सुल्तानपुर) उत्तरप्रदेश, उत्तर प्रदेश|मृत्यु=08 दिसम्बर 2015|कृतियाँ=[[नई खेती / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'| नई खेती]](कविता-संग्रह)|विविध=अपनी कविता की धुन में छात्र जीवन के बाद भी विद्रोही जी ने जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) कैंपस को ही अपना बसेरा माना। वे कहते थे, "जेएनयू मेरी कर्मस्थली है। मैंने यहाँ के हॉस्टलों में, पहाड़ियों और जंगलों में अपने दिन गुज़ारे हैं।" वे बिना किसी आय के स्रोत के छात्रों के सहयोग से किसी तरह कैंपस के अंदर जीवन बसर करते रहे हैं।
|जीवनी=[[रमाशंकर यादव 'विद्रोही' / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Ramashankar Yadav, Vidrohi
}}
__NOTOC__
====कविता-संग्रह====
* '''[[नई खेती / रमाशंकर यादव 'विद्रोही']]'''
====प्रमुख अवधी रचनाएँ====
* [[इहवइ धरतिया हमार महतरिया / रमाशंकर यादव 'विद्रोही']]
* [[सिरताजी अइया / रमाशंकर यादव 'विद्रोही']]
* [[अवधी गीत / रमाशंकर यादव 'विद्रोही']]
====प्रमुख हिंदी रचनाएँ====
* [[नई खेती (कविता) / रमाशंकर यादव 'विद्रोही']]