भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>मास मधुर बिनु कंत हो रामा विरह अगिन भेल !
कतेक दिवस धरि बाट निहारल
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
सुनल मुरारी हेरथि राधा
हमर दुखक नहि अंत हो रामा बैमान नलिन भेल !
टीसक टीस कही ककरा सँ
छोहक गणित दिगंत हो रामा प्राण महीन भेल
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा छान दुर्दिन भेल !</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits