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{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>एक दिन आप ध्यान से सुनते हैं और
चौंक जाते हैं
आप पाते हैं
आपके बच्चे
आपकी ही भाषा आपके ही अंदाज़ में बोलने लगे हैं
चीज़ों को बरतने का उनका ढंग
काफी कुछ आपसे मिलने लगा है
यहां तक कि उनकी कद-काठी देखकर और आवाज़ सुनकर
आपके लोगों को आपके होने का भ्रम हो जाता है
ऐसे किसी एक दिन
आपको तसल्ली हो जाती है और
उस रोज़ आप
बेफ़िक्र होकर निकलते हैं
घर से बाहर ।
</poem>
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}}
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<poem>एक दिन आप ध्यान से सुनते हैं और
चौंक जाते हैं
आप पाते हैं
आपके बच्चे
आपकी ही भाषा आपके ही अंदाज़ में बोलने लगे हैं
चीज़ों को बरतने का उनका ढंग
काफी कुछ आपसे मिलने लगा है
यहां तक कि उनकी कद-काठी देखकर और आवाज़ सुनकर
आपके लोगों को आपके होने का भ्रम हो जाता है
ऐसे किसी एक दिन
आपको तसल्ली हो जाती है और
उस रोज़ आप
बेफ़िक्र होकर निकलते हैं
घर से बाहर ।
</poem>