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Kavita Kosh से
तरह तरह के फल फूलों से,
बाग बगीचे सुन्दर थे,
कुण्डों में निर्मल नीर भरा,
कई एक वहाँ पर मंदिर थे |
तड़ाग बावली कुण्डों में,
था मोती समान स्वच्छ पानी,
आते देव सकल नहाने,
वहाँ और कई ज्ञानी ध्यानी ।