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लकड़ी रच के चिता बना दिन, फिर रख दिन सोनू के लाशधनवा किंजर करत परकम्मा, लेवत फुस फुस दुख के सांस।चिता के आगी धकधक बरगे, तब धनसाय दीस मुंह दागआंसू गिरा के रोवत धड़धड़ -“”ददा, मोर अब फुट गे भाग।तंय मोला छोड़त तब करिहय मोर कोन रखवारी।छल प्रपंच नइ जानंव कइसे कटिहय विपदा भारी।डकहर किहिस -“”शांत रह धनवा, वाकई आय तोर पर कष्टलेकिन मन ला सम्बोधन कर, तभे हमर दुख होहय नष्ट।सोनू मण्डल भला आदमी, सिरिफ तोर नइ रिहिस सियानओहर सब अतराप के पुरखा, मनसे मन हा पुत्र समान।”केजा घलो सांत्वना देइस -“”जग मं होथय कई इंसानमगर कर्म के अंतर कारण, यश मिलथय – होथय बदनाम।पर उपकारी तोर ददा हा, करिस जियत भर भल के कामतभो ले कतको जलकुकड़ा मन, मुंह पाछू कर दिन बदनाम।जेन व्यक्ति हा दुश्मनी जोंगिस, सोनू मदद करिस हर टेमसबके खातिर हृदय साफ झक, नइ जानिस कुछ छल या झूठ।”मनखे मन मुंह देखी बोलत, काबर के धनवा धनवानयदि ध्रुव असन सत्य बोलत हें, धनवा हा लेहय प्रतिशोध।सोनू रिहिस लुटेरा घालुक, ए रहस्य जानत अतरापकोन घेपतिस मनसे ला पर – पूंजी के भय करथय खांव।शासन निहू हे धन के आगू, ए बपुरा मन हवंय अनाथसोनू के मरना ले खुश हें, बाहिर मन से देवत साथ।सिरिफ गरीबा हे दुसरा तन, एको झन नइ ओकर पासखंचुवा कोड़िस मात्र अपन भिड़, पर कइसे दफनावय लाश!मदद मंगे बर गीस दुसर बल, करूण शब्द मं हेरिस बोल –“”अब दर मं शव ला रखना हे, लेकिन होवत मंय बस एक।अंड़े काम पूरा करना हे, दे के मदद करा दव पूर्णमोर ददा हा साऊ अदमी, थिरबहा लागे ओकर लाश।”टपले सुखी बात ला काटिस -“”तोर शर्म कतिहां चल दीस –“”सोनसाय के जीव का छूटिस, तंय बिजराये बर धमकेस।टेम सुघर अक आय तोर बर, मिलगे मुफ्त गांव के राजअपन थोथना इहां ले टरिया, खुद सम्हाल मरनी के काम।”भुखू कथय -“”तंय हा जानत हस – हम्मन अभी दुखी गमगीनजब गंभीर बखत हा होवय, कभू भूल झन होय मजाक।जेन कार्यक्रम एती होवत, ओला छोड़ अन्य नइ जानतंय हा अपन काम कर पूरा, हमर आसरा बिल्कुल छोड़।”गंगा हा जब बहत छलाछल, कोई भी धोवत हे हाथजमों गरीबा ला दंदरावत, टहलू तक हा मारत डांट –“”अतका बखत ले खरथरिहा अस, करत रेहेस उदिम बस एककाम अधूरा तब दउड़े हस, चल अब पुरो अपन सब काम।”हटिस गरीबा हा काबर के – हिनहर के नइ हितू गरीबभंइसा बैर छत्तीस गिनती अस, तलगस ले सुर्हराहय जीब।जब असहाय होय मानव हा, खुद हा करय लक्ष्य ला पूर्णखात गरीबा कहां हार अब, देत परीक्षा होय उत्तीर्ण।यथा ढेखरा खर खर तीरत, लाश ला लानिस दर के तीरएकर काम देख के हांसत, दूसर तन के मानव – भीड़।अपन बहा मं खने जेन दर, उही मं घुस के झींकत लाशअपन ददा ला भितर सुता के, होत गरीबा दुखी उदास।बाहिर निकल पलावत माटी, धांसत पथरा मं बड़ जोरदुसर डहर के मनसे मन अब, चलिन उहां के रटघा टोर।धनसहाय के घर तिर पहुंचिन, धोइन एक – एक कर गोड़एकर बाद अपन घर जाये, उहां ले रेंगिन मुँह ला मोड़।शाम के अउ बैठक जुरियाइस, धनवा बोलिस दुखी अवाज –“”मंय असहाय अनाथ होय हंव, मोला परिस बज्र के मार।अड़बड़ जहरित रिहिस बाप हा, कुब्बल उदगरे ओकर कामओकर आत्मा पाय शांति सुख, एकर बर मंय करंव उपाय।लेकिन कते काम ला जोंगव, मोर दिमाग उमंझ नइ आतनेक सलाह देव तुम मिल जुल, सुलिन लगा के होवय काम।”सुखी कथय -“”तंय राज ला करबे, अपन बाप के धन में।ओकर आत्मा शांत होय, तइसे कारज धर मन में।मंय उत्तम सलाह देवत हंव – तंय खवाय “भंडारा’ खोलमनसे जहां कलेवा खाहंय, तृप्ति अमर गाहंय जस तोर।मृतक के आत्मा तुष्ट हो जाहय, भटकत आत्मा तक हा शांतयद्यपि होवत नंगत खरचा, पर होवत हे सद उपयोग।”बन्जू कथय -“”असामी अस तयं, भरे बोजाय चीज घर तोरतब हम तोला उम्हयावत हन – तंय हा निश्चय कर परमार्थ।”यद्यपि हगरुहा खुद कंगला, पर असहाय के छोड़त साथकरत गरीबा के जड़ खोदी, ताकि स्वयं उठ जावय ऊंच –“”अन्न खाय नइ पाय गरीबा, कंगला हाथ कहां जस – कामकरत अधर्म पुत्र पापी हा, पर सुद्धू हा गिरिहय नर्क।”धनसहाय स्वीकार लीस सब -“”मंय मानत हंव तुम्हर सलाहमंय भण्डारा खोल के रहिहंव, खाय पेट भर सब अतराप।मगर कार्यक्रम हे बड़ भारी, सफल बनान सकंव नइ एकएकर बर तुम देव आसरा, मंय हा चहत तुम्हर सहयोग।”डकहर बोलिस -“”तंय निफिक्र रहि, गिरन देन नइ इज्जत तोरअगर कार्यक्रम मं कुछ गल्ती, हम सब मनखे तक बदनाम।दस झन के लकड़ी के बोझा, एक के मुड़ पर कभु नइ जायतोर काम ला सफल बनाबो, तोर बोझ हा हमरो बोझ।”बातचीत मं टेम खसक दिस, कब ले खलस रेंग दिस शामबइठक उसल गीस तंह रेगिन – मनसे मन हा खुद के धाम।
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