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अंकाल / नूतन प्रसाद शर्मा

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रोना-करलई ल नई सुनस, होगेस तयं भैरा
झींका -पुदगा मं मिलथे का परोसे थाल
 
तोर आये ले होथय ऐ दुनिया के बुरा हाल
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