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जगौनी / मैथिलीशरण गुप्त
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12:28, 4 फ़रवरी 2017
पड़े हो कब से पैर पसार!
करो अब और न अपना घात।
उठो, हे भारत, हुआ
प्रभात ॥
प्रभात॥
जगत को देकर शिक्षा-दान,
सहारा देंगे श्री भगवान।
बनेगी फिर भी बिगड़ी बात।
उठो, हे भारत, हुआ
प्रभात।
प्रभात॥
</poem>
Sharda suman
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