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॥श्री मधुसूदनाय नमः॥
मन्दार-शिखरं दृष्ट्वा, दृष्ट्वा वा मधुसूदनम्।
कामधेन्वा मुखं दृष्ट्वां, पुनर्जन्म न विद्यते॥