भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बरत, भोग
नारेल, ज्योत, आरती, धोक...
सो कीं लै
पण माई
महर राखीजै
छोरियां देवै
तो पाड़ोसियां नैं दीजै
अर दीजै सगा-समधियां नैं
नीं तो आयला-भायलां नैं
जोड़ै स्यूं करै अरदास
तेरो ही एक दास
देख लै माई
जे चावै तेरी हाजरी
नोरतां दर नोरतां
तो महर राखीजै...
अर माई ...?
थिर
बियां री बियां
जियां आज ताणी रैंवती आई है।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बरत, भोग
नारेल, ज्योत, आरती, धोक...
सो कीं लै
पण माई
महर राखीजै
छोरियां देवै
तो पाड़ोसियां नैं दीजै
अर दीजै सगा-समधियां नैं
नीं तो आयला-भायलां नैं
जोड़ै स्यूं करै अरदास
तेरो ही एक दास
देख लै माई
जे चावै तेरी हाजरी
नोरतां दर नोरतां
तो महर राखीजै...
अर माई ...?
थिर
बियां री बियां
जियां आज ताणी रैंवती आई है।
</poem>