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|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
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|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
धोरौ
ठाह नीं कद
जा बैठ्यौ
आंधी रै साथै
दूजी ठौड़।

बापड़ो रूंख
जीवै तौ है
बिलखती जड़्यां साथै
स्यात आवै पूठौ
कोई धोरौ
आंधी रै साथै
राखै मरजाद
पूरै साध
रूंख री।

</poem>
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