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|रचनाकार=अशोक परिहार 'उदय'
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|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
होवै मिनख रै
माथै रो ताज
उण री लाज
मिनख राखै उण नैं
आपरै जीव सूं ई नेड़ो
घणां ई जतनां सूं
एक पिछाण है
रोब-रुतबो है
आण-कांण है
धरम रा पग है पाग
लोगड़ा पण सकै कद
अेक दूजै री उछाळता
आ अनमोल-अणबोल पाग।
</poem>
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