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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
राज खातर
पांच साल हाका करिया
सड़कां माथै पड़िया रैया
लोगां नै गळै लगाया
हर पल मांय केई-केई
नूंवा सुपना दिखाया
लोगां नै भरोसो हुयग्यो
अै तो है म्हारा
वोट दे दिया सारा।
तीन बरस हुयग्या
वोट लेय ‘र गया हा
उणरै बाद
साम्हीं ई नीं आया है
मिलण जावां तो बतावै-
‘मीटिंग मांय है।‘
लारलै बारणै सूं आवै-जावै
हाजरिया कूड़ी कहाणी सुणावै।
साच है-
राज भलां-भलां नै
कूड़ा बणाय देवै।

</poem>
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